याद आ रहे है वो महीने, वो दिन
वो जून के आम, जिसे खूब मजे से खाना,
वो जुलाई के फवारे, जिसमे भीग जाने को मन का गुदगुदाना,
वो अगस्त की बारिश, जिसमे सूरज के किरणों के लिए तरसना ,
आज वो सब याद आ रहे है ,
वो सितम्बर का सुहाना मौसम, जिसमे पतंग उड़ने की शुरुवात करना,
वो अक्टूबर के तेवहार, वो दिवाली दश्हैरा का बहार,
वो नवम्बर में आते सब्जियों के बहार, वो आलू वो मटर वो गोभियो का तेवहार,
वो दिसम्बर के कडाके की ठण्ड, वो गन्ने का मीठा रस,
आज वो सब याद आ रहे है,
वो जनवरी का महिना, वो नए साल का उलाश,
वो फरबरी की गुलाबी ठण्ड वो वैलेंटाइन का इंतज़ार,
वो मार्च का महिना वो परीक्षा का चढ़ता बुखार,
आज वो सब याद आ रहे है,
वो अप्रैल में होते गर्मियों की शुरुवात,
वो मई का महिना वो छुट्टियों का इंतज़ार,
आज फिर याद आ रहे वो दिन वो महीने वो साल जो हमने बेफिक्र हो गुजरे थे |
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10 comments:
really nostalgic.....nice one...
yeah man i know that i was really feeling home sick when i wrote it ... nwaz thanx for comment
kya baat hai....sahi likha hai yar.......ek number.....
itna dukhi mat ho, warna mujhe bhi rona aa jayega. :P
anyway, nostalgia always comes with idleness; involve yourself in activities, that will help.
@abhishek: thoda ro le yaar.. i am not idle man, but yeah i am feeling home sick.
@khadda: thanx man..
Mast kavitayen likhta hai be tu.. Inspiration kahan se aati hai.. Put fundaes...
But this one is really awesome..
i like it..gives me a good feeling back from the home..
btw,
its not 'tevhaar' its "tyauhaar`"
and i think it would be enhanced if u use more adjectives and shorten the length of those lines..
keep it up buddy!!
i like it!!
@ manu: Thanx for suggestion buddy.. will take care of all this next time..
@japs : ka hua bhai !! achanak !!
kahin aisa na ho ki yahaan aane ke baad phir ek post ho : "MISSING THOSE DAYS"
itna zaroor hia nxt one ll be in ANREGI
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