Tuesday, June 30, 2009

याद आ रहे है वो महीने , वो दिन

याद रहे है वो महीने, वो दिन
वो जून के आम, जिसे खूब मजे से खाना,
वो जुलाई के फवारे, जिसमे भीग जाने को मन का गुदगुदाना,
वो अगस्त की बारिश, जिसमे सूरज के किरणों के लिए तरसना ,
आज वो सब याद रहे है ,
वो सितम्बर का सुहाना मौसम, जिसमे पतंग उड़ने की शुरुवात करना,
वो अक्टूबर के तेवहार, वो दिवाली दश्हैरा का बहार,
वो नवम्बर में आते सब्जियों के बहार, वो आलू वो मटर वो गोभियो का तेवहार,
वो दिसम्बर के कडाके की ठण्ड, वो गन्ने का मीठा रस,
आज वो सब याद रहे है,
वो जनवरी का महिना, वो नए साल का उलाश,
वो फरबरी की गुलाबी ठण्ड वो वैलेंटाइन का इंतज़ार,
वो मार्च का महिना वो परीक्षा का चढ़ता बुखार,
आज वो सब याद रहे है,
वो अप्रैल में होते गर्मियों की शुरुवात,
वो मई का महिना वो छुट्टियों का इंतज़ार,
आज फिर याद रहे वो दिन वो महीने वो साल जो हमने बेफिक्र हो गुजरे थे |